बुधवार, 28 अगस्त 2013

कहाँ गई उस तरु की हरियाली






कुछ दिन पहले झूम रहा था
जाने क्या हुआ अब उसको
उसके मन की करुण दशा
भला बताए जाकर किसको
सूखे मुरझाए हैं पत्ते, सूखी हर डाली डाली
कहाँ गई उस तरु की हरियाली


गर्मी के गरम थपेड़े
कितनी बार उसने है झेले
सर्दी की ठंढ हवाएँ
झेला हंसकर दृढ अकेले
पर अम्बर में है अब, जब छाई बदरी काली
कहाँ गई उस तरु की हरियाली


उत्सव मना रहा हर कोई
फिर क्यूँ वह शांत पड़ा है
ना जाने किस दर्द की पीड़ा
मूक हुआ वह ठूंठ खड़ा है
कारण उदासी का उसकी , नहीं जानता उसका माली
कहाँ गई उस तरु की हरियाली


देखकर उसकी वेदना
क्या दुखी है कोई और
संग नहीं अभी कोई उसके
यह जीवन का कैसा दौर   
पूछ रहा यह प्रश्न खुद ही से, खुद व्यथित तरु की डाली 
कहाँ गई उस तरु की हरियाली 




11 टिप्‍पणियां:

  1. देखकर उसकी वेदना
    क्या दुखी है कोई और
    संग नहीं अभी कोई उसके
    यह जीवन का कैसा दौर
    पूछ रहा यह प्रश्न खुद ही से, खुद व्यथित तरु की डाली
    कहाँ गई उस तरु की हरियाली
    mann ko chune wali ek bahut hi sunder rachna...

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  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर!!
    RECENT POST : पाँच( दोहे )

    जवाब देंहटाएं
  3. कुछ दिन पहले झूम रहा था
    अब जाने क्‍या हुआ है उसको
    उसके मन की करुण दशा
    भला बताएं जाकर किसको
    सूखे मुरझाए हैं पत्ते, सूखी डाली-डाली
    कहाँ गई उस तरु की हरियाली


    गर्मी के गरम थपेड़े
    कितनी बार उसने झेले
    सर्दी की ठंडी हवाएँ
    झेला हंसकर दृढ़ अकेले
    अम्बर में अब जब छाई बदरी काली
    कहाँ गई उस तरु की हरियाली


    उत्सव मना रहा हर कोई
    फिर क्यूँ वह शांत पड़ा है
    ना जाने किस दर्द की पीड़ा
    मूक हुआ वह ठूंठ खड़ा है
    क्‍यूं उदास वह नहीं जानता उसका माली
    कहाँ गई उस तरु की हरियाली


    सोच-सोचकर उसकी वेदना
    क्या दुखी है कोई और
    संग नहीं अभी कोई उसके
    यह जीवन का कैसा दौर
    पूछ रहा यह प्रश्न खुद ही से, खुद व्यथित तरु की डाली
    कहाँ गई उस तरु की हरियाली

    ..........आपकी कविताएं बहुत संवेदनशील और सुन्‍दर होती हैं।

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  4. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......

    जवाब देंहटाएं
  5. जिस तरह हम पर्यावरण से खेल रहे हैं लगता है स्थिति बहुत ही भयावह होने वाली है. सुन्दर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  6. पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदना जैसे जैसे खत्म हो रही है ... ऐसे दौर देखने को मिल रहे हैं ...
    तरु भी खुद से प्रश्न कर रहे हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  7. कुछ दिन पहले झूम रहा था
    अब जाने क्‍या हुआ है उसको
    उसके मन की करुण दशा
    भला बताएं जाकर किसको
    सूखे मुरझाए हैं पत्ते, सूखी डाली-डाली
    कहाँ गई उस तरु की हरियाली ....

    बहुत खुबसूरत.............

    जवाब देंहटाएं
  8. उसको हंसना आना चाहिए …मंगलकानाएं , आभार

    जवाब देंहटाएं

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