बुधवार, 25 मई 2011

आज फिर से ....



अरसों बाद आज
प्यारी सी डाँट किसी ने लगायी है
तवे पर सिंकी रोटी मीठी
कई दिनों बाद खायी है

फिर से मीठा दही गुड़ चखा
भगवत चरणों के फूल जेब में रखा
माथे पर आशीर्वाद का टीका
आज फिर किसी ने लगाया है
अपने कोमल हाथों से
मेरे माथे को सहलाया है


थके धूप से विरक्त हुआ
आज मिला फिर शीतल छाँव
कितने दिनों बाद दिख रहा सुन्दर
मेरा प्यारा अपना गाँव

आज उन्मुक्त स्वछंद
लिटा गोद में मन को , बस खोया हूँ
अरसों बाद
हाँ, अरसों बाद आज चैन से सोया हूँ

आज हवाओं में फिर
वही सौंधी खुशबू छायी है
कितनी अच्छी लग रही
मंद-मंद पुरवाई  है 
आज रात सपने में
मेरी माँ आई है
हाँ, आज रात सपने में
मेरी माँ आई है

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