गुरुवार, 19 नवंबर 2015

राधे तेरे इंतजार में श्याम अकेला बैठा है

(फोटो गूगल से साभार)


हर्फ़ हर्फ़ गुजरो मेरी कविता से  
और हर शब्द सोना हो जाए
बस लिख दूँ रौशनी 
और रौशन हर इक कोना हो जाए 

फड़फड़ाते पन्नों को 
ना जाने कौन सी हवा लगी है 
तेरी आरजू बन मेरी कविता 
अरमां लिए बस उड़ने लगी है

नीला हुआ करता था कभी 
जो दावत, आज गुलाबी है 
बहके हुए से हैं हर शब्द 
शब्द शब्द शराबी है

भीग रहा मेरी कविता का आँगन 
मन वृंदावन हो बैठा है
युग बदला है देखो कैसा 
राधे तेरे  इंतजार में 
श्याम अकेला बैठा है 


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