मंगलवार, 24 जून 2025

दिन अभी ढला नहीं, जिंदगी की शाम बाकी है

 


    
                                                        (फोटो गूगल से साभार)



बादलों का गर्जन, नभ विशाल गूँजा है
दिन ने ओढ़ा तमस, मन जा कहीं उलझा है  
खुल रही गांठें अंतस की, एक पूरी एक आधी है  
दिन अभी ढला नहीं, जिंदगी की शाम बाकी है

तेज बहती हवाएँ, दिल का इम्तिहान लेती हैं
जड़ बने पत्थर, भीगते हुए कुछ कहती हैं  
सिसकियाँ बह गयी पानी संग, दर्द जो काफी है  
दिन अभी ढला नहीं, जिंदगी की शाम बाकी है

रिस रिस कर बूंदे, अभी पत्तों से गिर रहीं हैं
धीमी धीमी सी आवाज, कानों में घुल रहीं हैं
तुम मिलो तो शांत हो, अंदर बेचैनी की आँधी है
दिन अभी ढला नहीं, जिंदगी की शाम बाकी है

शाम का श्याम भीगता, कहीं बांसुरी बजा रहा है
भटका राही कहीं कोई, एक राह दिखा रहा है  
लौकिक-अलौकिक सब भीगे, नदी किनारे माझी है
दिन अभी ढला नहीं, जिंदगी की शाम बाकी है 

शुक्रवार, 8 मार्च 2019

नारी, तुमसे होता जग यह पूरा

(फोटो गूगल से साभार)



मंद समीर सी चलने वाली 
नदी सी कल कल बहने वाली 
जहाँ दिल दरिया और मन समंदर
करुणा और ममता का सागर 
तुम ना हो तो जग अधूरा
नारी, तुमसे होता जग यह पूरा

तुम माँ, तुम भगिनी
तुम बेटी, तुम अर्द्धांगिनी 
हर रूप तुम्हारा अद्भुत है
प्रेम, वात्सल्य, दया, त्याग
सब तुम्हारे पर्यायवाची
सब तुम्हारे ही रूप हैं 

तुम रानी लक्ष्मीबाई 
तुम राणा की पन्ना धाय
तुम चितौड़ की पदमिनी 
तुम वीरांगनी, तुम ओजस्विनी 

तुम इंदिरा सी नेतृत्व हो 
तुम कल्पना की उड़ान
तुम राष्ट्र शक्ति हो 
तुम देश का स्वाभिमान 

धरा से गगन तक
बस तुम्हारा विस्तार है 
नारी शक्ति, नारी संबल 
तुमको शत शत नमस्कार है !!


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