सोमवार, 13 अगस्त 2012

देखो संध्या मुस्काती है !

(फोटो गूगल से साभार)


शोणित किरणों से सजा
अंबर छोड़े जा रहा
सागर में पग दिवाकर
मद्धम-मद्धम  डाल रहा
नभ यात्रा से थका हुआ
नव उर्जा को पा रहा
दृश्य देख यह मनोरम, वो चिर हर्षाती है
देखो संध्या मुस्काती है !

नीड़ को अपने लौट रहे
विहग दिखते कितना आतुर हैं
नवजातों से मिलने को
वो आकुल और व्याकुल हैं
आनंदित-उल्लासित, नभ किरणों को समेटे
उड़े आ रहे अब खग कुल हैं
नभचरों की चहचहाहट, नवसंगीत सुनाती है
देखो संध्या मुस्काती है !

गोधूली में धूल उड़ाते
गाय-मवेशी दौड़े जाते
क्रीड़ा स्थल से लौट रहे
बाल-गोपाल हँसते-मुस्काते
श्रम स्थल से वापस
हलधर अपने घर को आते 
तुलसी चौरा पर गृह-स्वामिनी , संध्या दीप जलाती है
देखो संध्या मुस्काती है !

उडुगणों का हो रहा आगमन
अंबर पर बिछ रहा पीत कण
रजत कांति लिए हुए
उल्लासित है चन्द्र नयन
शोणित-पीत रंग से सजी
शशि-रजनी का निकट मिलन
और मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है !

रविवार, 5 अगस्त 2012

आसमान के तारों को, तोड़ जमीं पर लाना है !

(फोटो गूगल से साभार)


"कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो...."
ये पंक्तियाँ उन मित्रों से मिलने के बाद मेरे जहन में सहज ही आ गईं... |  सही में यदि हौंसला बुलंद हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं | अपने इन मित्रों का जज्बा देखकर उन्हें बार बार सलाम करने को दिल करता है | अरे हाँ, मैंने तो बताया ही नहीं कि आखिर ये मित्र हैं कौन | ये ऐसे मित्र हैं जिनसे मेरी दोस्ती ज्यादा पुरानी नहीं है, बस दस दिन हुए हैं और उन्होंने मेरे मन पर गहरा छाप छोड़ा है | और आज फ्रेंडशिप डे पर अपने इन नए मित्रों के बारे में कुछ लिखने का मन हो रहा है, सो लिख रहा हूँ |  ये ऐसे मित्र हैं जिनके आँखों में तो रौशनी कम है या फिर बिलकुल ही नहीं है लेकिन दिल और मन दोनों असीम उजाले से भरा हुआ है| ये मित्र कंप्यूटर का प्रशिक्षण लेने आये थे, उस संस्था में जहाँ मैं
कार्यरत हूँ | प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था - कंप्यूटर को उनकी पहुँच में लाना ताकि वो आसानी से कंप्यूटर पर काम कर सकें|  प्रशिक्षण दस दिनों के लिए था पर इन दस दिनों में उन्होंने जितना यहाँ सीखा उससे कहीं ज्यादा हम लोगों ने उनसे सीखा | उनके उत्साह और लगन को देखकर सच बोलिए तो दिल खुश हो गया, और तो और आप कभी भी उनके चेहरे पर जरा सी भी उदासी के भाव नहीं देख सकते |  हमेशा चेहरे पर एक मुस्कुराहट, एक संतुष्टि का भाव जो शायद ही हमारे और आपके चेहरे पर दिखे  |  ये मुस्कुराहट कितना कुछ सीखा गयी हमें | ऊपर से उनका जज्बा और उत्साह जीवन के प्रति, आशावादी सोच और  कुछ करने कि जीवट इच्छा  देखकर आप सहज ही अपने विषय में सोचने पर विवश हो जाएँगे | एक छोटी से बात बताता हूँ जो उनके अंदर के विश्वास को बताता है | एक प्रशिक्षु मित्र को मैं जी-मेल पर अकाउंट बनाना बता रहा था | अकाउंट बनाने के क्रम में एक जगह प्रोफाइल फोटो के लिए विंडो ओपन होता है | मैंने उससे मजाक में ही पूछा कि दोस्त यहाँ किसी हीरो का फोटो डाल दूँ ... सलमान खान की... | पता है फिर उसने क्या बोला ! उसने जो बोला वह सुनकर मुझे काफी ख़ुशी हुई | उसने बोला कि 'नहीं, उसकी फोटो नहीं मेरी फोटो डालो, वो हीरो कैसे हुआ .. हीरो मै खुद हूँ ... मैं तो लोकल में सफ़र करता हूँ , वो करता है क्या( हँसते हुए ..)! ' और आगे वो कुछ बोलना चाह रहा था लेकिन बोला नहीं , हँसकर रुक गया | उसकी ये छोटी सी हँसी और छोटा सा वाक्य वास्तव में छोटा नहीं था, काफी बड़ी बात कह दी उसने ... हँसते-हँसते ही | मैं तो जरुर कह सकता हूँ कि सच में ये सच्चे हीरो हैं |  अब ज्यादा नहीं लिखूँगा, बस इतना समझिये कि इन मित्रों से मिलने के बाद मेरे मन में कुछ भाव उठे जिसे मैंने एक रचना में ढाल दिया और समापन समारोह में गाया भी | मेरी आवाज अच्छी नहीं फिर भी मुझे आज इच्छा हुई कि आपसे अपनी आवाज ( वास्तव में मेरे उन न भुलाए जाने वाले मित्रों की आवाज है यह, शब्द मेरे हैं भाव उनके हैं ) और अपना यह गीत शेयर करूँ | समय हो तो सुनियेगा जरुर ....|


चलिए तब तक के लिए नमस्कार और फ्रेंडशिप डे की बधाई व शुभकामनाएँ!!


मेरी आवाज अच्छी तो है नहीं पर अब जब सुनाना है तो सुनाना है, आशा करता हूँ कि आप सहयोग करेंगे :-)

(गीत : आसमान के तारों को, तोड़ जमीं पर लाना है)






आसमान के तारों को
तोड़ जमीं पर लाना है
आगे आगे हम बढ़ें
कुछ ऐसा कर दिखाना है

अंदर बहुत उजाला है
जिसने हमें संभाला है
पथ आलोकित होता अपना
पग जिधर भी हमने डाला है
अंतर्मन का दीप जला
अंधियारा दूर भगाना है

आसमान के तारों को...

बाधाओं से डरकर बोलो
कब हमने हिम्मत हारा है
बाधाओं से लड़कर देखो
जीत का सेहरा बाँधा है
हम इस युग के मीना है
हमें सिकंदर बन जाना है

आसमान के तारों को ...

अपने होठों की हँसी
हमें बहुत ही प्यारी है
इससे यारों देखो अपनी
बड़ी ही गहरी यारी है
हँसते हँसते जिंदगी का
हर इक कदम उठाना है

आसमान के तारों को ...

अंबर पर छा जाने को
नवगीत कोई अब गाने को
लालायित उल्लासित हैं
हम पुंज पुंज प्रकाशित हैं
परिभाषाएँ कई गढ़ ली हमने
अब राह में दीप जलाना है

आसमान के तारों को...

बुधवार, 1 अगस्त 2012

अटूट, अंतहीन, निश्छल प्यार !

(फोटो गूगल से साभार)


इस दुनिया में सबसे प्यारा
भाई - बहन का प्यार है
और त्योहारों में सबसे पावन
राखी का त्योहार है

एक के आँखों में आँसू
दूजे के नयन छलकाता है
बहना जब होती उदास
भैया उसे हँसाता है

थोड़ी शरारत आपस में
थोड़ी सी होती तकरार
हर शरारत में छुपा होता
अनजाना अनोखा सा इक प्यार

भाई - बहन का रिश्ता ऐसा
जो हर सुख - दुःख आपस में बाँटे
एक के राहों का काँटा
दूजा अपने हाथों से छाँटे

रेशम के इक धागे से
बंधा भाई - बहन का प्यार
अटूट , अंतहीन , निश्छल है जो
प्यारा सुंदर सा ऐसा संसार
प्यारा सुंदर सा ऐसा संसार 


आप सभी को रक्षाबंधन पर्व के इस शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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