(फोटो गूगल से साभार) |
शोणित किरणों से सजा
अंबर छोड़े जा रहा
सागर में पग दिवाकर
मद्धम-मद्धम डाल रहा
नभ यात्रा से थका हुआ
नव उर्जा को पा रहा
दृश्य देख यह मनोरम, वो चिर हर्षाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
अंबर छोड़े जा रहा
सागर में पग दिवाकर
मद्धम-मद्धम डाल रहा
नभ यात्रा से थका हुआ
नव उर्जा को पा रहा
दृश्य देख यह मनोरम, वो चिर हर्षाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
नीड़ को अपने लौट रहे
विहग दिखते कितना आतुर हैं
नवजातों से मिलने को
वो आकुल और व्याकुल हैं
आनंदित-उल्लासित, नभ किरणों को समेटे
उड़े आ रहे अब खग कुल हैं
नभचरों की चहचहाहट, नवसंगीत सुनाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
गोधूली में धूल उड़ाते
गाय-मवेशी दौड़े जाते
क्रीड़ा स्थल से लौट रहे
बाल-गोपाल हँसते-मुस्काते
श्रम स्थल से वापस
हलधर अपने घर को आते
तुलसी चौरा पर गृह-स्वामिनी , संध्या दीप जलाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
उडुगणों का हो रहा आगमन
अंबर पर बिछ रहा पीत कण
रजत कांति लिए हुए
उल्लासित है चन्द्र नयन
शोणित-पीत रंग से सजी
शशि-रजनी का निकट मिलन
और मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
देखो संध्या मुस्काती है !
उडुगणों का हो रहा आगमन
अंबर पर बिछ रहा पीत कण
रजत कांति लिए हुए
उल्लासित है चन्द्र नयन
शोणित-पीत रंग से सजी
शशि-रजनी का निकट मिलन
और मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
उडुगणों का हो रहा आगमन
जवाब देंहटाएंअंबर पर बिछ रहा पीत कण
रजत कांति लिए हुए
उल्लासित है चन्द्र नयन
शोणित-पीत रंग से सजी
शशि-रजनी का निकट मिलन
और मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
बहुत अच्छी पंक्तियाँ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति,,,,बधाई ,,,,शिवनाथ जी,,,
उडुगणों का हो रहा आगमन
जवाब देंहटाएंअंबर पर बिछ रहा पीत कण
रजत कांति लिए हुए
उल्लासित है चन्द्र नयन
शोणित-पीत रंग से सजी
शशि-रजनी का निकट मिलन
और मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
बहुत अच्छी पंक्तियाँ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति,,,,बधाई ,,,,शिवनाथ जी,,,
स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसंध्या की मुस्कुराहट इसी तरह बनी रहे
जवाब देंहटाएंसुबह उठ कर चिड़िया तुम्हारी चहचहाती रहे ।
शोणित-पीत रंग से सजी
जवाब देंहटाएंशशि-रजनी का निकट मिलन
और मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
waah...beautiful...
.
bahut sundar ati sundar bhavabhivyakti.तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए ,
जवाब देंहटाएंशशि-रजनी का निकट मिलन
जवाब देंहटाएंऔर मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
kya baat hai ati sundar panktiyaan...aur kavita bhi bahut pyari likhi gai hai..shabdo ka milan bejod hai..maja aa gaya
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशशि-रजनी का निकट मिलन
जवाब देंहटाएंऔर मिलन की तैयारी को, लाल चुनर ओढ़े जाती है
देखो संध्या मुस्काती है
बहुत खुबसूरत शब्दों में पिरोइ रचना , आभार
गौधूलि की वेला और सूर्य का गमन .. पानी पे पाँव रखता तपता गोला ... लाजवाब दृश्य खींचा है आपने शाम का ...
जवाब देंहटाएं१५ अगस्त की शुभकामनायें ...
बरबस मन को बांधती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आकर्षित करता हुआ संध्या सौंदर्य एक चित्र सा बनाता हुआ आँखों के सम्मुख बहुत खूब शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सशक्त शब्द चित्र...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ....आभार
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat rachna..
जवाब देंहटाएंक्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
अति सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसंध्या के मनोरम दृश्य को उकेरता हुआ,शानदार कृति..
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग ,आपके इंतजार में-
"मन के कोने से..."
मनोहारी शब्द चयन ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
गोधूली में धूल उड़ाते
जवाब देंहटाएंगाय-मवेशी दौड़े जाते
क्रीड़ा स्थल से लौट रहे
बाल-गोपाल हँसते-मुस्काते
श्रम स्थल से वापस
हलधर अपने घर को आते
तुलसी चौरा पर गृह-स्वामिनी , संध्या दीप जलाती है
देखो संध्या मुस्काती है !
manonam chitr
rachana
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शिवनाथ कुमार जी,
बहुत सुंदर मनहर रचना !
आभार और बधाई !!
very nice poem
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना...
अनु
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_16.html
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर..
:-)