सोमवार, 28 जुलाई 2014

पर वो गरीब आज भी गरीब है

(फोटो गूगल से साभार)



दिख जाते हैं 
अक्सर कई फ़कीर 
गंदे मैले कुचैले से 
कपड़े पहने 
राहों पर 
कोई गरीब कचड़ा बीनता 
कोई मासूम भीख मांगता 
गाड़ियों में 

गरीबी जैसे शाप बनकर 
मिला हो 
उनको जीवन में 
और साथ ही मिल जाते हैं कई 
बुद्धिजीवी लेखक 
अपनी किसी नई रचना का 
विषय ढूंढते उनमे 
और रच जाते हैं कभी कभी 
अद्वितीय रचना 
मिल जाता है कोई 
चित्रकार चित्र उकेरते 
गरीबी की 
कोई फोटो लेने वाला 
फोटो लेते उनकी विवशता का 
और जीत जाते हैं पुरस्कार 
ले जाते हैं इनाम कई 
उगा लेते हैं धन लाखों में 

पर वो गरीब 
आज भी गरीब है  
उनकी तस्वीर हर रोज 
ले रहा होता है कोई 
रचनाएँ हर रोज 
रची जाती है कहीं 
पर गरीबों का क्या 
वो अभी भी लगे हैं 
दो वक्त की रोटी 
जुगाड़ने में  
जूझते खुद अकेले 
अपनी नियति को 
संभालने में 






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