अरसों बाद आज
प्यारी सी डाँट किसी ने लगायी है
तवे पर सिंकी रोटी मीठी
कई दिनों बाद खायी है
फिर से मीठा दही गुड़ चखा
भगवत चरणों के फूल जेब में रखा
माथे पर आशीर्वाद का टीका
आज फिर किसी ने लगाया है
अपने कोमल हाथों से
मेरे माथे को सहलाया है
थके धूप से विरक्त हुआ
आज मिला फिर शीतल छाँव
कितने दिनों बाद दिख रहा सुन्दर
मेरा प्यारा अपना गाँव
आज उन्मुक्त स्वछंद
लिटा गोद में मन को , बस खोया हूँ
अरसों बाद
हाँ, अरसों बाद आज चैन से सोया हूँ
आज हवाओं में फिर
वही सौंधी खुशबू छायी है
कितनी अच्छी लग रही
मंद-मंद पुरवाई है
आज रात सपने में
मेरी माँ आई है
हाँ, आज रात सपने में
मेरी माँ आई है
प्यारी सी डाँट किसी ने लगायी है
तवे पर सिंकी रोटी मीठी
कई दिनों बाद खायी है
फिर से मीठा दही गुड़ चखा
भगवत चरणों के फूल जेब में रखा
माथे पर आशीर्वाद का टीका
आज फिर किसी ने लगाया है
अपने कोमल हाथों से
मेरे माथे को सहलाया है
थके धूप से विरक्त हुआ
आज मिला फिर शीतल छाँव
कितने दिनों बाद दिख रहा सुन्दर
मेरा प्यारा अपना गाँव
आज उन्मुक्त स्वछंद
लिटा गोद में मन को , बस खोया हूँ
अरसों बाद
हाँ, अरसों बाद आज चैन से सोया हूँ
आज हवाओं में फिर
वही सौंधी खुशबू छायी है
कितनी अच्छी लग रही
मंद-मंद पुरवाई है
आज रात सपने में
मेरी माँ आई है
हाँ, आज रात सपने में
मेरी माँ आई है
मजा आ गया सच में
जवाब देंहटाएंऐसे ही लिखते रहो तुम इसी के लिए बने हो
आज फिर से,
जवाब देंहटाएंमन-वीणा पर किसी ने हाँथ फिराया है ,
पुराने गीतों को नए आवाज़ में गुनगुनाया है |
आज फिर से .... आज फिर से..
@ योगेन्द्र सर : धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ स्वदेसी : टिप्पणी भी कविता में करना, ये तो आप ही कर सकते हैं. अच्छा लगा, टिप्पणी देने के लिए धन्यवाद :)
माँ की उपस्थिति ही संबल देने को काफी है ..... सपना हो वास्तविक जीवन ....
जवाब देंहटाएंमाँ को याद करने के कारण बहुत अच्छे लगे ...
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंबड़े अरसे बाद सोने का आनद आया है
जवाब देंहटाएंआज माँ ने सपने में आ के सुलाया है |
खुश रहो !
शुभकामनाएँ!
क्या बात है जानब पढ़ कर रूह फनाह हो गई | अदभुत लेखनी | आनंद से सराबोर हो गया | शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंतमाशा-ए-ज़िन्दगी
मन-वीणा पर किसी ने हाँथ फिराया है ,
जवाब देंहटाएंपुराने गीतों को नए आवाज़ में गुनगुनाया है |
आज फिर से ....