(फोटो गूगल से साभार) |
तैर गए बादल उन आँखों में
वो माँ की आँखें थी
वो माँ की आँखें थी
कुछ आशाओं के टुकड़े
बहते हुए
पूरा आसमां घूमकर
उन आँखों में ठहर गए
और बरस पड़े
दुआ बनकर
अपने लाडले के लिए
वो सागर भरी आँखें माँ की थी
अच्छी लगती है परेशानी
कभी कभी
आरी तिरछी सिलवटों के संग
देखकर माथे पर
जो वस्तुतः उभरी होती हैं
दुआएँ बनकर
माँ के माथे पर
वो माथे पर सिलवटें लिए एक चेहरा माँ का था
परेशानी और सिलवटों का
वह रूप बदल गया
विश्वास लाडले पर अपने
एक दुआ बन बरस गया
और भीगो गया
ममता की धरा
खिला गया फूल मुस्कराहट के
एक बार फिर से
और मुस्कुरा उठा चेहरा
भीगे आँसूओं के ऊपर
वो ममतामयी मुस्कान एक माँ की थी
हाँ वो माँ की आँखें थी
जिन आँखों में बादल तैरा था
माँ के प्यार को अभिव्यक्त करती बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। ऐसे ही लिखते रहिये |
जवाब देंहटाएंहाँ वो माँ की आँखें थी
जिन आँखों में बादल तैरा था
मन की भिंगाती हुई कृति. बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावुक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अति उत्तम!!!!
जवाब देंहटाएंकुछ आशाओं के टुकड़े
जवाब देंहटाएंबहते हुए
पूरा आसमां घूमकर
उन आँखों में ठहर गए
और बरस पड़े
दुआ बनकर
अपने लाडले के लिए
वो सागर भरी आँखें माँ की थी ..
माँ की ममता पर अति सुन्दर रचना .वाह !
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माँ ्की ममता अनमोल..
जवाब देंहटाएंपहले अंतरे को पढ़कर दिल से आ हा हा निकला। दूसरे तीसरे अंतरे में शब्दों की गलती इतनी गहरी सुन्दर कविता में अखरती है। कृपया ठीक कर लें। आपसे अनुरोध है कि इतने बढ़िया सृजन में शब्दों, वाक्यों-विन्यासों, भावों की गलती न आने दें।.................रहा नहीं गया। इसलिए बिन मांगा सुझाव दे रहा हूँ। बुरा न समझिएगा।
जवाब देंहटाएंजी विकेश जी शुक्रिया !
हटाएंआपके सुझावों का जरुर ध्यान रखूँगा
आभार!
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शनिवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवि सर!
हटाएंआभार!
माँ की आँखों में तो सारा जहां तैर जाता है....बेहद भावुक और सुंदर रचना।।
जवाब देंहटाएंमाँ शब्द में पूरी श्रृष्टि निहित है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
कोमल भाव लिए रचना...
:-)
माँ की हर बात निराली होती है
जवाब देंहटाएंआपकी रचना दिल को छु गई
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत प्यारी रचना है !
जवाब देंहटाएंमाँ की स्नेहिल दृष्टि का
जवाब देंहटाएंपरस दे गई यह रचना !
और किसी की ऐसी आँखें हो भी नहीं सकती है..
जवाब देंहटाएंहाँ वो माँ की आँखें थी
जवाब देंहटाएंजिन आँखों में बादल तैरा था
माँ की आँखों का सुन्दर चित्रण!
जवाब देंहटाएंमाँ जैसा कोई नही ,,,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है आपने
सचमुच माँ दुनिया में होती ही है सबसे निराली... उसकी उपमा कहाँ ... बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंनई रचना
तभी तो हमेशा खामोश रहता है आईना !!
खुबसूरत अभिवयक्ति...... .
जवाब देंहटाएंऔर कौन होगा ऐसा ..??
जवाब देंहटाएंहाँ वो माँ की आँखें थी
जवाब देंहटाएंजिन आँखों में बादल तैरा था ...
उन सजीली, पनीली आशा लिए आँखों का दृश्य उभार आता है इस रचना से ...
माँ के आगे कौन है ...