tag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post3185718343976064534..comments2023-09-20T21:21:24.056+05:30Comments on मन का पंछी: कहाँ गई उस तरु की हरियाली शिवनाथ कुमारhttp://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-41869936075504842012013-11-01T08:32:53.618+05:302013-11-01T08:32:53.618+05:30उसको हंसना आना चाहिए …मंगलकानाएं , आभारउसको हंसना आना चाहिए …मंगलकानाएं , आभारSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-47630401737535299492013-10-11T21:22:37.311+05:302013-10-11T21:22:37.311+05:30कुछ दिन पहले झूम रहा था
अब जाने क्या हुआ है उसको...कुछ दिन पहले झूम रहा था <br />अब जाने क्या हुआ है उसको<br />उसके मन की करुण दशा <br />भला बताएं जाकर किसको <br />सूखे मुरझाए हैं पत्ते, सूखी डाली-डाली <br />कहाँ गई उस तरु की हरियाली ....<br /><br />बहुत खुबसूरत.............<br />Vijay Kumarahttp://merakinaara.blogspot.in/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-90664327121682036712013-08-29T15:17:52.607+05:302013-08-29T15:17:52.607+05:30धन्यवाद :)धन्यवाद :)शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-22810031073094386412013-08-29T13:05:20.372+05:302013-08-29T13:05:20.372+05:30पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदना जैसे जैसे खत्म हो ...पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदना जैसे जैसे खत्म हो रही है ... ऐसे दौर देखने को मिल रहे हैं ... <br />तरु भी खुद से प्रश्न कर रहे हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-19942469869018231362013-08-29T07:03:08.282+05:302013-08-29T07:03:08.282+05:30जिस तरह हम पर्यावरण से खेल रहे हैं लगता है स्थिति ...जिस तरह हम पर्यावरण से खेल रहे हैं लगता है स्थिति बहुत ही भयावह होने वाली है. सुन्दर रचना. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-54243973609917928052013-08-29T01:59:31.442+05:302013-08-29T01:59:31.442+05:30श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.........श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-41812997033961265372013-08-28T20:07:36.849+05:302013-08-28T20:07:36.849+05:30कुछ दिन पहले झूम रहा था
अब जाने क्या हुआ है उसको...कुछ दिन पहले झूम रहा था <br />अब जाने क्या हुआ है उसको<br />उसके मन की करुण दशा <br />भला बताएं जाकर किसको <br />सूखे मुरझाए हैं पत्ते, सूखी डाली-डाली <br />कहाँ गई उस तरु की हरियाली <br /><br /><br />गर्मी के गरम थपेड़े <br />कितनी बार उसने झेले <br />सर्दी की ठंडी हवाएँ <br />झेला हंसकर दृढ़ अकेले <br />अम्बर में अब जब छाई बदरी काली <br />कहाँ गई उस तरु की हरियाली<br /><br /><br />उत्सव मना रहा हर कोई <br />फिर क्यूँ वह शांत पड़ा है <br />ना जाने किस दर्द की पीड़ा <br />मूक हुआ वह ठूंठ खड़ा है <br />क्यूं उदास वह नहीं जानता उसका माली <br />कहाँ गई उस तरु की हरियाली <br /><br /><br />सोच-सोचकर उसकी वेदना <br />क्या दुखी है कोई और <br />संग नहीं अभी कोई उसके <br />यह जीवन का कैसा दौर <br />पूछ रहा यह प्रश्न खुद ही से, खुद व्यथित तरु की डाली <br />कहाँ गई उस तरु की हरियाली<br /><br />..........आपकी कविताएं बहुत संवेदनशील और सुन्दर होती हैं। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-20436116792811461152013-08-28T16:26:35.149+05:302013-08-28T16:26:35.149+05:30बहुत खुबसूरत भाव से ओत प्रोत रचना
latest postएक ब...बहुत खुबसूरत भाव से ओत प्रोत रचना <br />latest post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/08/blog-post_28.html#links" rel="nofollow">एक बार फिर आ जाओ कृष्ण।</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-64308388048558639902013-08-28T15:46:41.763+05:302013-08-28T15:46:41.763+05:30बहुत संवेदनशील रचना ... बहुत संवेदनशील रचना ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-7320052230840203442013-08-28T12:33:44.310+05:302013-08-28T12:33:44.310+05:30बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी क...बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,<br />श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर!!<br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/08/blog-post_25.html#links" rel="nofollow">: पाँच( दोहे )</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7247346388497654001.post-76835909666719373102013-08-28T11:50:37.152+05:302013-08-28T11:50:37.152+05:30देखकर उसकी वेदना
क्या दुखी है कोई और
संग नहीं अभ...देखकर उसकी वेदना <br />क्या दुखी है कोई और <br />संग नहीं अभी कोई उसके <br />यह जीवन का कैसा दौर <br />पूछ रहा यह प्रश्न खुद ही से, खुद व्यथित तरु की डाली <br />कहाँ गई उस तरु की हरियाली<br />mann ko chune wali ek bahut hi sunder rachna...parivartanhttps://www.blogger.com/profile/11293619028213994944noreply@blogger.com