(फोटो गूगल से साभार) |
माँ तेरे यादों की हर चीज
समेट कर रख दी है
सहेज कर
मन में
जो कभी पानी
तो कभी
बादल बन
बरस जाती हैं
मन में ही
मैं सहेजता हूँ उन
बूंदों को
मैं बहने नहीं देना चाहता
उनको
उन बूंदों में भीगना
अच्छा लगता है
माना मन रोता है
कई बार
तुम्हें याद कर के
पर तेरी इन यादों से
मन सजीव हो उठता है
जहाँ मायावी
मुस्कान और आँसू
अपना अस्तित्व खो देते हैं
और मन
विश्राम पाता है
बिलकुल वैसे ही जैसे
विचलित जल तरंगों को
कोई किनारा मिल गया हो
शुकून भरा
जैसे किसी बालक को मिल गया हो
माँ का आँचल
प्यार भरा !
बहुत सुन्दर ..माँ को समर्पित सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंविचलित तरंगों का जैसे ठहराव वैसा ही मां से लगाव। क्या आत्मीयता है, वाह!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंसादर आभार !
माँ तो दिल में हमेशा ही बसी होती है.. बहुत सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंमां को श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंमाँ के आँचल की ठंडी छाँव मिल जाए तो सुकून तारी हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंमाँ की यादों भरी रचना मन को छू के गुज़रती है ...
सुन्दर लिखा है.
जवाब देंहटाएंमाँ की यादों भरी रचना ...हर शब्द दिल की गहराई से निकले और मन को गहरे तक छूती रचना !
जवाब देंहटाएंदिल को छूती बहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंBehad bhaawpurn.. Maa ka anchal pyar bhara man ko chu gyi aapki rachna..aabhar !!
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों का संगम
जवाब देंहटाएंमाँ के लिये अच्छी भावपूर्ण कविताएं बहुत कम देखी जातीं हैं । दिगम्बर जी ने एक वर्ष केवल माँ के लिये कविताएं लिखते हुए बिताया । मुझे आपकी कविता में भी भावों की वैसी ही गहराई देखने मिली ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण .
जवाब देंहटाएंमन को छू गयी यह कविता!
माँ पर जो भी लिखा जाए कम है...माँ को समर्पित एक सुंदर और भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंमाँ पर लिखी एक अच्छी सच्ची कविता...... बधाई
जवाब देंहटाएंकोमल भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.... आभार।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, आज 29 अक्तूबर 2015 को में शामिल किया गया है।
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
शुक्रिया संजय जी !!
हटाएंआभार !!