(फोटो गूगल से साभार) |
ओस की एक बूंद
विश्रांत
बैठी हुई
घास की फुनगी पर
रात भर जीया जिसने
एक जिन्दगी चाँदनी
सुबह की पहली किरण
झाँक रही आर पार उसके
पारदर्शी होता हर कुछ
उसकी पूरी जिन्दगी
जो भेद गयी किरणें
फूट निकला इन्द्रधनुषी रंग
अल्प जिन्दगी की संपूर्णता में
भीगी भीगी
मूक सजीव बनी वो
अभी भी झूल रही कैसे
देखो कितने इत्मीनान से !
विश्रांत
बैठी हुई
घास की फुनगी पर
रात भर जीया जिसने
एक जिन्दगी चाँदनी
सुबह की पहली किरण
झाँक रही आर पार उसके
पारदर्शी होता हर कुछ
उसकी पूरी जिन्दगी
जो भेद गयी किरणें
फूट निकला इन्द्रधनुषी रंग
अल्प जिन्दगी की संपूर्णता में
भीगी भीगी
मूक सजीव बनी वो
अभी भी झूल रही कैसे
देखो कितने इत्मीनान से !
bahut sundar post.....
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिव्यक्ति,,,शिवनाथ जी,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
.सार्थक अभिव्यक्ति भारत सदा ही दुश्मनों पे हावी रहेगा .
जवाब देंहटाएं@ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंओस की बूंद की जीवन कथा ... सुंदर
जवाब देंहटाएंbeautifully written ...
जवाब देंहटाएंkhubsurat abhivaykti...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव व्यक्त किये बंधू | बहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंतमाशा-ए-ज़िन्दगी
धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंआपको भी मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमकर संक्रान्ति के अवसर पर
उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!
धन्यवाद !
हटाएंआपको भी मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
सादर !
सुन्दर.कोमल भाव अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनाएं...
:-)
हटाएंधन्यवाद !
आपको भी मंगल मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
बहुत खूब ... इन्द्रधनुष को साहित्य की नज़रों से देखना अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... आपको मकर संक्रांति की शुभकामनायें ..
हटाएंधन्यवाद !
आपको भी मंगल मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद :-)
हटाएंबहुत ही अच्छा हैं ।
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