शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

भीगा एक चाँद

(फोटो गूगल से साभार)
 
 
 
भीगा एक चाँद, डूबा हुआ ताल में  
उसे निकाल लिया 
और फिर सुबह की धूप में 
संग उसे बिठा लिया 

ठंढी धूप बह चली 
महक उठी हर गली 
बदला हर नजारा है 
खिल उठी मुरझाई कली 

भीगा चाँद 
हर किसी को कहाँ नसीब होता है 
भीगी मुस्कराहट लिए 
हर कोई बस कहीं भीग रहा होता है 

मेरी खुशनसीबी है 
भीगा चाँद आज मेरे पास है 
मैं अपनी फकीरी पर क्यूँ रोऊँ 
कुछ नहीं, पर सबकुछ मेरे पास है 

रात तकिये के सिराहने 
रख चाँद मैं सो गया 
जो उठा, तो मिला एक आसमां 
और भोर हो गया 



16 टिप्‍पणियां:

  1. रात तकिये के सिराहने
    रख चाँद मैं सो गया
    जो उठा, तो मिला एक आसमां
    और भोर हो गया ,,,

    बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!

    RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (26-10-2013)
    "ख़ुद अपना आकाश रचो तुम" : चर्चामंच : चर्चा अंक -1410 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम के गहरे एहसास में डूबे हों तो क्यों चाहिए कुछ ओर ...
    अपना चाँद है तो आसमां मिल गया .... बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं
  4. भीगा चाँद
    हर किसी को कहाँ नसीब होता है
    भीगी मुस्कराहट लिए
    हर कोई बस कहीं भीग रहा होता है
    सही कहा है सुन्दर भाव …

    जवाब देंहटाएं
  5. रात तकिये के सिराहने
    रख चाँद मैं सो गया
    जो उठा, तो मिला एक आसमां
    और भोर हो गया......................वाह। आह। बहुत आकर्षक सीधे दिल को लगी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह...सुंदर अभिव्यक्ति ...भीगा चाँद

    जवाब देंहटाएं
  7. रात तकिये के सिराहने
    रख चाँद मैं सो गया
    जो उठा, तो मिला एक आसमां
    और भोर हो गया......................
    बहुत ही प्यारा ये भीगा चांद।

    जवाब देंहटाएं
  8. भीगी मुस्कराहट लिए
    हर कोई बस कहीं भीग रहा होता है
    ........सुन्दर भाव

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...