पुलकित आनंदित अंतर्मन
देख रहा कोई दर्पण
विकार रहित हुआ जाता है
खुल रहा मन का बंधन
व्याकुल मन की व्यथाएँ चली व्योम के पार
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार
अभिलाषाएँ कुछ दबी हुई
जाग गयी, थीं सोयी हुई
उल्लासित आँखें जागती हैं
तरुण हृदय संग बंधी हुई
खोल गया हो जैसे कोई बंद हृदय के द्वार
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार
विस्मृत यादें फिर झूमी
नाच रही संग रंगभूमि
उन्मुक्त भाव संग झूम रहे
ज्यों घुंघरू बाँध कोई बाला झूमी
सूनी साजों पर कोई छेड़ गया फिर मन का तार
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार
@फोटो: गूगल से साभार
उल्लासित नयन (जगते हैं)
जवाब देंहटाएंतरुण हृदय संग (बंधे हुए)........ब्रेकेट में जो है क्या ये नहीं होना चाहिए।
बाँध सखी घुंघरू, संग घूमी..........ये पंक्ति भी सही नहीं सज पाई। अच्छी शुरुआत थी कविता में, भाव-विहवलता भी थी, ऊपर के मेरे द्वारा चिन्हित दो स्थानों पर भाव गड़बड़ा गए हैं। देख लें।
विकेश जी
हटाएंआपके सुझाव पर मैंने कुछ बदलाव किए हैं
बहुत बहुत धन्यवाद
आभार!
अब ठीक है।
हटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंमन हर्षित हुआ.......
अनु
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार..मनाओ मनाओ हम भी आते हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
विस्मृत यादें फिर झूमी
जवाब देंहटाएंनाच रही अब रंगभूमि
प्रेम प्रखर हुआ जाता है
बाँध सखी घुंघरू, संग घूमी
सूनी साजों पर कोई छेड़ गया फिर मन का तार
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार
बहुत सुंदर.
रामराम.
बरसात तो सोये हुए भावों को जगाती है..सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन ,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ....: नीयत बदल गई.
बहुत सुन्दर लिखा है..
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
जवाब देंहटाएंअभिलाषाएँ कुछ दबी हुई
जवाब देंहटाएंजाग गयी, थीं सोयी हुई
उल्लासित आँखें जागती हैं
तरुण हृदय संग बंधी हुई ..
मन के भाव को यथा बाँधा है ... बूंदों का ये त्यौहार बहुत कुछ जगा जाता है ...
बहुत ही सुंदर लिखा है आपने । आपकी एक अतिसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंविस्मृत यादें फिर झूमी
नाच रही संग रंगभूमि
उन्मुक्त भाव संग झूम रहे
ज्यों घुंघरू बाँध कोई बाला झूमी
सूनी साजों पर कोई छेड़ गया फिर मन का तार
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार|
जितनी तारीफ की जाये उतना कम
वाह ! बहुत अच्छी कविता ....
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखते हैं आप ....!!
प्रभावशाली रचना..
जवाब देंहटाएंबधाई !
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।।।
जवाब देंहटाएंज्यों घुंघरू बाँध कोई बाला झूमी
जवाब देंहटाएंसूनी साजों पर कोई छेड़ गया फिर मन का तार
हर्षित मन मना रहा बूँदों का त्योहार
बहुत सुन्दर....
मन हर्षित हुआ....वाह !
अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंस्नील शेखर