कभी कभी
सपनों के बोझ तले
दबी हुई पलकें
खुलना तो चाहती हैं
पर खुल नहीं पाती
खुलना तो चाहती हैं
पर खुल नहीं पाती
असहज, घुटन सी
महसूस होती है
जब लाख कोशिश करने पर भी
पलकें नहीं खुलती
और जब नितांत कोशिशों
के बावजूद
नहीं खुलती हैं पलकें
तो हम छोड़ देते है
प्रयास
हो जाते हैं बिलकुल
शांत और शिथिल
(जो मिथ्या ही है)
घोर अशांति, उथल-पुथल लिए
अन्दर ही अन्दर
घोर अशांति, उथल-पुथल लिए
अन्दर ही अन्दर
पर ना जाने सहसा क्या होता है
हम पलकें खोल बैठे होते हैं
नींद से जाग उठे होते हैं
हम पलकें खोल बैठे होते हैं
नींद से जाग उठे होते हैं
.
.
नींद में ही
(फिर से एक मिथ्य,,, सपने के अन्दर जागता मन)
.
नींद में ही
(फिर से एक मिथ्य,,, सपने के अन्दर जागता मन)
पर जब नींद टूटती है
(सच में जब टूटती है)
और जब होते हैं हम
उस मायाजाल से मुक्त
(सच में जब टूटती है)
और जब होते हैं हम
उस मायाजाल से मुक्त
कितना शुकून होता है
साँसों की गति थोड़ी तीव्र
मगर गहरी होती जाती है
शनैः शनैः
साँसों की गति थोड़ी तीव्र
मगर गहरी होती जाती है
शनैः शनैः
अन्दर ही अन्दर
पर ना जाने क्यों
विश्वास नहीं होता
कि हम नींद से वाकई जाग उठे हैं !
.
.
कहीं फिर से हम
नींद में ही तो नहीं हैं ?
विश्वास नहीं होता
कि हम नींद से वाकई जाग उठे हैं !
.
.
कहीं फिर से हम
नींद में ही तो नहीं हैं ?
@फोटो : गूगल से साभार
बहुत बढ़िया,उम्दा भावअभिव्यक्ति !!!
जवाब देंहटाएंRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
असमझ की स्थिति..सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (28-04-2013) अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो : चर्चामंच १२२८ में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद सर !
हटाएंसादर !
सुलझी हुई उलझनों का अच्छा चित्रण किया है ......
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
इस माया को भेड़ पाना आसां नहीं ...
जवाब देंहटाएंनींद में कब थे .. या अब भी हैं .. किसी को क्या पता ... उस मायावी के सिवा ... अच्छी रचना है ...
विश्वास नहीं होता
जवाब देंहटाएंकि हम नींद से वाकई जाग उठे हैं..........नींद, स्वप्न, जागृति और जीवन की रहस्यात्मकता को बहुत अच्छे शब्द दिए हैं।
गहरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार!
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति...
अनु
पर ना जाने क्यों
जवाब देंहटाएंविश्वास नहीं होता
कि हम नींद से वाकई जाग उठे हैं !
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काफी उलझन भरी स्थिति है ... बहुत सुन्दर रचना
बहुत अच्छा लिखते हो आप !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
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तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
Inception!
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