कभी कभी
जब अपने अन्दर के
समंदर को मथता हूँ
बहुत कुछ
प्रगट होता है
बहुत कुछ .....
प्रगट होते हैं
कुछ सुख
जब अपने अन्दर के
समंदर को मथता हूँ
बहुत कुछ
प्रगट होता है
बहुत कुछ .....
प्रगट होते हैं
कुछ सुख
कुछ दुःख
कुछ सपने
(जो सपने ही रह गए )
कुछ उम्मीद
कुछ आशाएँ
कुछ प्रेम
कुछ त्याग
कुछ अनसुलझी उलझन
कुछ सच्चाई
(जो कड़वी है)
कुछ अच्छाई
(जो शायद अब नहीं है)
प्रगट होती है कभी कभी
कोई क्रोधाग्नि
होती है जो बेताब
सब कुछ भस्मीभूत करने को
मिलती है
जागी जागी सी
एक लम्बी नींद
जो जागने से पहले
बहुत कुछ खो चुकी होती है
बहुत कुछ मिलता है
इस मंथन से
मगर नहीं मिलता है
तो वो है "अमृत"
हाँ, "विष" जरुर मिलता है
एक समय था
जब विषपान को स्वयं
नीलकंठ आए थे
मगर आज .....
आज इस विष का पान
कौन करेगा,,,, कौन?
कुछ सपने
(जो सपने ही रह गए )
कुछ उम्मीद
कुछ आशाएँ
कुछ प्रेम
कुछ त्याग
कुछ अनसुलझी उलझन
कुछ सच्चाई
(जो कड़वी है)
कुछ अच्छाई
(जो शायद अब नहीं है)
प्रगट होती है कभी कभी
कोई क्रोधाग्नि
होती है जो बेताब
सब कुछ भस्मीभूत करने को
मिलती है
जागी जागी सी
एक लम्बी नींद
जो जागने से पहले
बहुत कुछ खो चुकी होती है
बहुत कुछ मिलता है
इस मंथन से
मगर नहीं मिलता है
तो वो है "अमृत"
हाँ, "विष" जरुर मिलता है
एक समय था
जब विषपान को स्वयं
नीलकंठ आए थे
मगर आज .....
आज इस विष का पान
कौन करेगा,,,, कौन?
यह समुद्र मंथन
सतत चलते रहना है
और जिस दिन
मिल जाएगा "अमृत"
उस दिन
हर्षित हो "विष" पीना है !
सतत चलते रहना है
और जिस दिन
मिल जाएगा "अमृत"
उस दिन
हर्षित हो "विष" पीना है !
.
.
(वह अमृत जरुर मिलेगा)
(वह अमृत जरुर मिलेगा)
अमृत के इंतज़ार में ही विष धीरे-धीरे पीना ही पड़ता है.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना .
वाह !!! बेहतरीन रचना,आभार,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
आशा बनी रहे .... बिश तो हर पल मिलता रहता है ।
जवाब देंहटाएंजिस दिन
जवाब देंहटाएंमिल जाएगा "अमृत"
उस दिन
हर्षित हो "विष" पीना है !
बहुत खूब
इस विश पान को स्वयं ही आगे आना होता है ... अमृत तो वैसे भी बचा नहीं होता इन मंथन में ... इमानदारी से लिखी रचना ...
जवाब देंहटाएंवाह ... इन्तजार तो इन्तजार ही रहेगा ... बस ... विष पीते जाना है ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर और दिल से रची गयी पोस्ट ..
आज के यथार्थ का ठोस मंथन। (कुछ अनसुलझे उलझन) की जगह (कुछ अनसुलझी उलझन) कर दें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विकेश जी!
हटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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उस दिन
जवाब देंहटाएंहर्षित हो "विष" पीना है !
बहुत खूब .......खुबसूरत खुबसूरत
AAJ KE PARIPEKSH MEIN BAHUT SARTHA RACHNA.
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat ehsaas... Atti uttam
जवाब देंहटाएंहाँ! जरुर..
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