(फोटो गूगल से साभार) |
चलो दो चार किस्से बतियाता चलूँ
जिंदगी को गुनगुनाता चलूँ
तबियत में उतार चढ़ाव लाजिमी है
जरा तबियत से उसे गले लगाता चलूँ
हसरतें कई बह जाती हैं
रेतीली लहरों के साथ साथ
उम्मीदें कई उड़ जाती हैं
बहती हवाओं के साथ
पर मजबूर हूँ दिल से ए जिंदगी
मुस्कुराने की आदत है, मुस्कुराता चलूँ
हसरतों का कारवां फिर बनाता चलूँ
कोरे कागज़ पर लिख कर
क्यूँ फेंक दे फिर उसे मोड़ माड़ कर
तल्खियां रिश्तों में आम है
क्या मिला है बगिया उजाड़ कर
उड़ाने और लपेटने का पतंग
सिलसिला ये लाजवाब है
रिश्तों को संभालना जो सीख ले
वो दुनिया में बेमिसाल है
अपनापन सा कुछ मिठास मिलाता चलूँ
रिश्ता इंसानियत का और बनाता चलूँ
बिखरना और टूटना मानता हूँ
पर टूट कर जुड़ना भी जानता हूँ
अमावस का आना तय है हर महीने
ख्याल में पूणर्मासी के रातें गुजारता हूँ
सीखने को बहुत कुछ है जिंदगी में
पर ढाई आखर की महता पहचानता हूँ
हैं अंधेरों से बातें करती कई राहें
उन राहों पर दीप जलाता चलूँ
जिंदगी तुम बहुत खूबसूरत हो
चलो तुम्हें तुम्हारा दीदार कराता चलूँ
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंकई दिनों बाद आना हुआ आपके ब्लॉग पर कुछ जरूरी कार्यो के चलते व्यस्तता रहती है शिवनाथ भाई पर जब भी ब्लॉग पढता हूँ बहुत कुछ पीछे रह जाता है
जवाब देंहटाएंपोस्ट पढ़ी तो शानदार लगी लफ़्ज़ों में गहरे अहसास .....बहुत ही खूबसूरत
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंवाह !!लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंBahut sunder
जवाब देंहटाएंkitni saral bhash me kitni badi bat kahe gaye...shandar rachna
लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर पंक्तियों से सजी रचना -- ये पंक्तियाँ बहुत खास लगी --
जवाब देंहटाएंतल्खियां रिश्तों में आम है
क्या मिला है बगिया उजाड़ कर --- सारी रचना एक सुंदर आशा का नव - विहान समेटे है | हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं |
आशावाद व सकारात्मकता का संदेश देती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... जिंदगी का सार लिख दिया ...
जवाब देंहटाएंगहरा दर्शन शांत दिखाई दे रहा है ...
आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंनिमंत्रण पत्र :
जवाब देंहटाएंमंज़िलें और भी हैं ,
आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/