(फोटो गूगल से साभार) |
माँ तेरे यादों की हर चीज
समेट कर रख दी है
सहेज कर
मन में
जो कभी पानी
तो कभी
बादल बन
बरस जाती हैं
मन में ही
मैं सहेजता हूँ उन
बूंदों को
मैं बहने नहीं देना चाहता
उनको
उन बूंदों में भीगना
अच्छा लगता है
माना मन रोता है
कई बार
तुम्हें याद कर के
पर तेरी इन यादों से
मन सजीव हो उठता है
जहाँ मायावी
मुस्कान और आँसू
अपना अस्तित्व खो देते हैं
और मन
विश्राम पाता है
बिलकुल वैसे ही जैसे
विचलित जल तरंगों को
कोई किनारा मिल गया हो
शुकून भरा
जैसे किसी बालक को मिल गया हो
माँ का आँचल
प्यार भरा !