(फोटो गूगल से साभार) |
तेरी तस्वीर देखी है मैंने आज फिर से
खुल रहे दिल के कई राज फिर से
खो गयी है मेरी मुकम्मल रात कहीं
जोड़ तारों को बजा रहा साज फिर से
धड़कने खामोश बैठी थी तनहा अकेली
धड़कनों को दे गया कोई अल्फाज फिर से
आँखों में अरमानों का उत्सव है कैसा
मायूसी में मुस्कानों का आया रिवाज फिर से
दिल दरिया है मुहब्बत का कैसे तुम्हें बताए
दिल में बन रहा कहीं नया एक ताज फिर से
तेरी तस्वीर देखी है मैंने आज फिर से
खुल रहे दिल के कई राज फिर से