(फोटो गूगल से साभार) |
'वो रात' पिघलकर आ गिरा
दामन में
और जो दामन खोला
मिला एक 'पत्थर'
गाड़ दिया उस पत्थर को
जमीन में
दफना दिया उसे
कई तह लगाकर
दामन में
और जो दामन खोला
मिला एक 'पत्थर'
गाड़ दिया उस पत्थर को
जमीन में
दफना दिया उसे
कई तह लगाकर
सुना है
एक 'पेड़' उगा है उस जगह पर
उस पत्थर के सीने को चीरकर
बहुत आश्चर्य है लोगों को
इस बात का
पर मुझे नहीं
मैंने पत्थर (दिल) को भी
आँसू बहाते देखा है
एक 'पेड़' उगा है उस जगह पर
उस पत्थर के सीने को चीरकर
बहुत आश्चर्य है लोगों को
इस बात का
पर मुझे नहीं
मैंने पत्थर (दिल) को भी
आँसू बहाते देखा है
वो रोया है कई बार
कई बार चिल्लाया है
तो फिर आश्चर्य क्या इसमें
जो उन आँसूओं में भीग
कई बार चिल्लाया है
तो फिर आश्चर्य क्या इसमें
जो उन आँसूओं में भीग
कोई पेड़ निकल आया है !
सुना है धागे बाँधे जाते हैं
वहाँ उस पेड़ पर
और कोई तो हर रोज
शाम के शाम
गीत सुना जाता है वहाँ
शाम के शाम
गीत सुना जाता है वहाँ
उस पेड़ की टहनियाँ
फैलती ही जा रही हैं
दिन पर दिन
पर इन सबसे परे
'वो पत्थर' आज भी
सोया पड़ा है वहीं
गहरी नींद मे
पता नहीं कब ये नींद टूटेगी
और कब वो जागेगा
सोया पड़ा है वहीं
गहरी नींद मे
पता नहीं कब ये नींद टूटेगी
और कब वो जागेगा