आईना तो हर किसी को
उतार लेता है अपने अन्दर
मगर उतरा हर कोई आईने में
कहाँ निकाल पाता है खुद को
उस आईने के अन्दर से
बस कैद हुआ रह जाता है मानो
आईने के मोहपाश में
यह आईने की खूबसूरती है
जो बना देता है
किसी को भी खुबसूरत
किसी को भी !
आईने के सामने
चाहे जो हो
जैसा भी हो
प्यारी ही लगती है
उसे अपनी मूरत
पर आईना कभी
झूठ नहीं बोलता
आईने की सच्चाई
है कौन देखना चाहता?
है कौन स्वीकारना चाहता
उसके नजरिये को
जिससे है वो औरों को देखता
हम तो खुद की नजरों से
देख रहे होते हैं
खुद को
आईने की नजरों से नहीं
और जो देखना शुरू कर दिया
आईने की नजरों से
तो सच में
सच से साक्षात्कार
सच से साक्षात्कार
होता दिख जाएगा
सच कड़वा हो सकता है
मगर सच को स्वीकारना
सत्य को पाने जैसा है
और सत्य तो एक ही है ....
@फोटो: गूगल से साभार
bahut sunder panktiya ....lekin kahi kahi virodhabhad ki sthiti hai ...........
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तिया पर कहीं कहीं कवी की बातो में विरोधाभास नज़र आता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..आभार . बस यही कल्पना
जवाब देंहटाएंहर पुरुष मन की .
साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर भी पढ़ें;
इसलिए आज 23/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में)
आप भी देख लीजिए एक नज़र ....
धन्यवाद!
धन्यवाद !
हटाएंसादर आभार!
अति उत्तम
जवाब देंहटाएंजो देखना शुरू कर दिया
जवाब देंहटाएंआईने की नजरों से
तो सच में
सच से साक्षात्कार
होता दिख जाएगा
सच कड़वा हो सकता है
मगर सच को स्वीकारना
सत्य को पाने जैसा है
और सत्य तो एक ही है ....बहुत सही
बेहतरीन प्रस्तुति
मगर सच को स्वीकारना सत्य को पाने जैसा है,,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,,,
Recent post: जनता सबक सिखायेगी...
बहुत ही सुन्दर और उम्दा प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावनात्मक अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंसच है .. आइना तो सच बताता है ... पर इंसान को देखो ... उसे देखता नहीं और जो खुद को दिखाना चाहता है वो देखता है ...
जवाब देंहटाएंखेलना चाहता है आईने से ... उम्दा रचना है ...
बहुत सुंदर रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंसादर आभार!
सत्य के दर्शन करवाती अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
मेरे TV स्टेशन ब्लाग पर देखें । मीडिया : सरकार के खिलाफ हल्ला बोल !
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/05/blog-post_22.html?showComment=1369302547005#c4231955265852032842
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंअनु
जवाब देंहटाएंहम तो खुद की नजरों से
देख रहे होते हैं
खुद को
आईने की नजरों से नहीं----
बहुत सुंदर
बधाई
आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--
बहुत सुंदर.अहसास....बधाई
जवाब देंहटाएंजो देखना शुरू कर दिया
जवाब देंहटाएंआईने की नजरों से
तो सच में
सच से साक्षात्कार
होता दिख जाएगा
सच कड़वा हो सकता है
मगर सच को स्वीकारना
सत्य को पाने जैसा है
और सत्य तो एक ही है .
बहुत सुन्दर भाव ...काश हम सच से रूबरू हों अपने को जानें पहचानें ..तो बहुत कुछ बदल जाए और तब आनंद और आये ...अब तो आईने भी न जाने कैसा कैसा दिखाने लगे ...
भ्रमर ५
सही विश्लेषण ..
जवाब देंहटाएंबधाई !
वाह बहुत संदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रचना | अत्यंत भावपूर्ण |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सच कड़वा हो सकता है
जवाब देंहटाएंमगर सच को स्वीकारना
सत्य को पाने जैसा है
और सत्य तो एक ही है ....बहुत सही
बेहतरीन प्रस्तुति
जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ
सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएं