अक्सर जब पढ़ता हूँ तुम्हें
खुद के खो जाने की वजह
ढूँढता हूँ
और जो
तलाशता हूँ अपना वजूद
तो पाता हूँ
कि पढ़ रहा हूँ खुद ही को
तुम्हारे अन्दर
हर लफ़्ज में
तस्वीर देखता हूँ अपनी
एहसास, जज्बात
क्या कुछ नहीं है
गिले शिकवे
सब कुछ तो हैं
तुम्हें पढ़ते हुए
मिल जाते हैं
कई दफे
तेरी आँखों से बहते
आँसू के कुछ कतरे
जिसे मैं अपने हाथों से
पोंछ रहा होता हूँ
और मिलती है
वो हँसी
वो मुस्कुराहट
ढूँढता हूँ
और जो
तलाशता हूँ अपना वजूद
तो पाता हूँ
कि पढ़ रहा हूँ खुद ही को
तुम्हारे अन्दर
हर लफ़्ज में
तस्वीर देखता हूँ अपनी
एहसास, जज्बात
क्या कुछ नहीं है
गिले शिकवे
सब कुछ तो हैं
तुम्हें पढ़ते हुए
मिल जाते हैं
कई दफे
तेरी आँखों से बहते
आँसू के कुछ कतरे
जिसे मैं अपने हाथों से
पोंछ रहा होता हूँ
और मिलती है
वो हँसी
वो मुस्कुराहट
जिसमें कहीं ना कहीं
मैं छुप बैठा होता हूँ
मैं छुप बैठा होता हूँ
मंद मंद हवा कोई
छूकर निकलती है मुझे
और मैं डूब जाता हूँ
तुम्हारे संग
देखते हुए
डूबते सूरज को
सुन रहा होता हूँ
किनारों पर उठते
लहरों के प्रणय संगीत को
ना जाने क्यूँ
तुम्हें जब
पढ़ना शुरू करता हूँ
तो रुकता नहीं
बस पढ़ता चला जाता हूँ
सोचता हूँ
कि आखिर कहीं तो अंत होगा
पर नहीं ....
अंतहीन तेरे प्रेम को
अपने अन्दर और विस्तृत पाता हूँ
तुम्हें पढ़कर
सच में ऐसा लगता है
कि तुम और हम
एक ही तो हैं
तुम्हारे संग
देखते हुए
डूबते सूरज को
सुन रहा होता हूँ
किनारों पर उठते
लहरों के प्रणय संगीत को
ना जाने क्यूँ
तुम्हें जब
पढ़ना शुरू करता हूँ
तो रुकता नहीं
बस पढ़ता चला जाता हूँ
सोचता हूँ
कि आखिर कहीं तो अंत होगा
पर नहीं ....
अंतहीन तेरे प्रेम को
अपने अन्दर और विस्तृत पाता हूँ
तुम्हें पढ़कर
सच में ऐसा लगता है
कि तुम और हम
एक ही तो हैं
कहाँ जुदा-जुदा हैं
तुम मुझे पढो
या
मैं तुम्हें
बात एक ही है ...
है ना !
तुम मुझे पढो
या
मैं तुम्हें
बात एक ही है ...
है ना !
@ फोटो : गूगल से साभार
अंतहीन तेरे प्रेम को
जवाब देंहटाएंअपने अन्दर और विस्तृत पाता हूँ
-----------------------------
मनभावन मन की आवाज ...आह
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय शिवनाथ जी-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
सुन्दर भाव लिए रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति....
:-)
जवाब देंहटाएंअब इससे आगे क्या कहूं ,तू मुझमे हैं ,मैं तुझमें हूँ ......बढ़िया भावसंसिक्त अनुभूत रचना शब्दों का सही बाना पहने हुए .
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंRecent post: होरी नही सुहाय,
This is so sweet ... a perfect love poem !!!
जवाब देंहटाएंतुम्हें पढ़ते हुए
जवाब देंहटाएंमिल जाते हैं
कई दफे
तेरी आँखों से बहते
आँसू के कुछ कतरे
जिसे मैं अपने हाथों से
पोंछ रहा होता हूँ
सर बहुत ही अच्छी कविता है । आप ने अपने मन की भावनाओ को बहुत ही अच्छे से बहुत ही सुंदर अंदाज़ में प्रस्तुत किया है। perfect love poem
तुम्हें पढ़ते हुए
जवाब देंहटाएंमिल जाते हैं
कई दफे
तेरी आँखों से बहते
आँसू के कुछ कतरे
जिसे मैं अपने हाथों से
पोंछ रहा होता हूँ
और मिलती है
वो हँसी
वो मुस्कुराहट
जिसमें कहीं ना कहीं
मैं छुप बैठा होता हूँ .............बहुत भावप्रवण कविता। बहुत ही सुन्दर।
खुद को खोजना वो भी किसी दूसरे के अंदर ... ये तो प्रेम की पराकाष्ठा है ...
जवाब देंहटाएंऐसे ही जीवन बीत जाए तो सफल है ...
प्रेम में सचमुच ऐसा ही होता है............
जवाब देंहटाएंस्नेहमयी भाव..... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतुम मुझे पढो
जवाब देंहटाएंया
मैं तुम्हें
बात एक ही है ...
है ना !
वाह...लाजवाब...बहुत कोमल भावाभिव्यक्ति ...
तुम मुझे पढो
जवाब देंहटाएंया
मैं तुम्हें
बात एक ही है ...
है ना !
wah bahut sundar bhav..
मन के भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंकि तुम और हम
जवाब देंहटाएंएक ही तो हैं.....very nice.....
सुंदर प्रेम कविता..
जवाब देंहटाएंतुम मुझे पढो या मै तुम्हें बात तो एक ही है ना. बहोत खूब ।
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद जो आप मेरे बलॉग पर पधारे, स्नेह बनाये रखें ।
तुम मुझे पढो
जवाब देंहटाएंया
मैं तुम्हें
बात एक ही है ...
है ना !
..सच प्यार एकाकार का ही नाम है ..
वो कहते हैं न "प्रेम गली अति सांकरी जा में दो न" समाय
बढ़िया अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुकोमल भावनाओं को शब्दों में सुंदरता से उकेरा है...
जवाब देंहटाएंutam-**
जवाब देंहटाएंतुम्हें पढ़कर
जवाब देंहटाएंसच में ऐसा लगता है
कि तुम और हम
एक ही तो हैं
कहाँ जुदा-जुदा हैं
तुम मुझे पढो
या
मैं तुम्हें
बात एक ही है ...
है ना !
मानवीय संवेदना के धरातल पर हम सब एक ही हैं...बहुत सुन्दर कविता...बधाई और शुभकामनाएँ!
सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है! बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंhttp://voice-brijesh.blogspot.com