(फोटो गूगल से साभार) |
'शोर' से तंग
शाम 'मन'
रोकना चाहता है
भाग रहे पैरों को
चाहता है महसूस करना
हवाओं में झूमती
मद मस्त तरंगों को
पर बेबसी
मन की देखी नहीं जाती
शोर की दुनिया
और
दुनिया के शोर में
बेबस फँसे
मन की छटपटाहट
रोकना चाहता है
भाग रहे पैरों को
चाहता है महसूस करना
हवाओं में झूमती
मद मस्त तरंगों को
पर बेबसी
मन की देखी नहीं जाती
शोर की दुनिया
और
दुनिया के शोर में
बेबस फँसे
मन की छटपटाहट
और नहीं सही जाती
आखिर क्या करें
इस शोर का
इस 'शोर' को
मौत क्यूँ नहीं आती !
आखिर क्या करें
इस शोर का
इस 'शोर' को
मौत क्यूँ नहीं आती !
मन जब कभी
डूबा होता है
असीम आकाश में
बैठा शांत
खोया होता है कहीं
अस्तित्व विहीन हुआ
सुदूर श्वेत प्रकाश में
तभी
एक शोर कहीं से आकर
डूबा होता है
असीम आकाश में
बैठा शांत
खोया होता है कहीं
अस्तित्व विहीन हुआ
सुदूर श्वेत प्रकाश में
तभी
एक शोर कहीं से आकर
उसे पकड़ ला गिराती है
अपनी शोर भरी दुनिया में
और मन बस फिर यही सोचता है
कि आखिर क्या करें
इस शोर का
इस 'शोर' को
मौत क्यूँ नहीं आती !
अपनी शोर भरी दुनिया में
और मन बस फिर यही सोचता है
कि आखिर क्या करें
इस शोर का
इस 'शोर' को
मौत क्यूँ नहीं आती !
दुनिया के शोर में
जवाब देंहटाएंबेबस फँसे
मन की छटपटाहट
और नहीं सही जाती
आखिर क्या करें
इस शोर का
इस 'शोर' को
मौत क्यूँ नहीं आती !
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निसंदेह एक जबरदस्त और बेहतरीन रचना ..
I love the beauty of your Hindi poems ... they speak a lot ... I too try Hindi poems, and will be looking for your guidance :-)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंमुझे भी आपकी कवितायेँ काफी अच्छी लगती हैं ... :-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .एक एक बात सही कही है आपने बद्दुवायें ये हैं उस माँ की खोयी है जिसने दामिनी , आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
उम्दा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई भाई जी ||
सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसच कहें तो शोर तो शाश्वत है जब तक जीवन है ...
जवाब देंहटाएंउससे छुटकारा कहाँ ...
शोर न होना तो सन्नाटा होगा.....
जवाब देंहटाएंऔर भी कष्टकारी.....
बेहतरीन रचना..
अनु
सुन्दर। सभी पीड़ित हैं आपके दर्द से।
जवाब देंहटाएंइस भागती दौड़ती दुनिया में कोई तो है जो सुकून चाहता है शोर नहीं कविता का संगीत सुनता है। सुंदर बिंबों से सजी सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंकभी शोर भला लगता है... तो कभी सन्नाटा सुक़ून देता है...~यही जीवन है..!
~सादर!!!
दुनिया के शोर में
जवाब देंहटाएंबेबस फँसे
मन की छटपटाहट
और नहीं सही जाती
आखिर क्या करें
इस शोर का-----bahut yatharth ki baat kahiu hai badhai
हमारे परिवेश का एक कठोर सत्य !
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना