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माटी की छुलनी
माटी की कड़ाही
माटी का बेलन
माटी का चकला
तवा माटी का
दल घोटनी माटी की
एक चूल्हा भी है
वो भी माटी का
एक पूरा घर
माटी का
सबकुछ
बस माटी का !
और इस घर में
कितनी खुशियाँ हैं
बसती यहाँ
एक पूरी दुनिया है
एक पूरी दुनिया
जहाँ रहती है
अपनी प्यारी सी मुनिया
वही मुनिया
जिसने अपने माटी सने
हाथों से
खुद रचा है
इस दुनिया को
अपनी छोटी सी दुनिया
माटी की दुनिया
खुश है जहाँ
माटी की कड़ाही
माटी का बेलन
माटी का चकला
तवा माटी का
दल घोटनी माटी की
एक चूल्हा भी है
वो भी माटी का
एक पूरा घर
माटी का
सबकुछ
बस माटी का !
और इस घर में
कितनी खुशियाँ हैं
बसती यहाँ
एक पूरी दुनिया है
एक पूरी दुनिया
जहाँ रहती है
अपनी प्यारी सी मुनिया
वही मुनिया
जिसने अपने माटी सने
हाथों से
खुद रचा है
इस दुनिया को
अपनी छोटी सी दुनिया
माटी की दुनिया
खुश है जहाँ
छोटी सी मुनिया
बहुत खुश !
अब मुनिया
हो गयी है बड़ी
अब पास उसके
माटी के बर्तन नहीं
चमकीले बर्तन हैं
माटी का घर नहीं
पक्के का घर है
बहुत कुछ है यहाँ
सबकुछ है
अब ये ही है
दुनिया उसकी
उसी मुनिया की
जो हो गयी है बड़ी
पर थोड़ी सी चिंतित
थोड़ी व्यथित बहुत खुश !
अब मुनिया
हो गयी है बड़ी
अब पास उसके
माटी के बर्तन नहीं
चमकीले बर्तन हैं
माटी का घर नहीं
पक्के का घर है
बहुत कुछ है यहाँ
सबकुछ है
अब ये ही है
दुनिया उसकी
उसी मुनिया की
जो हो गयी है बड़ी
पर थोड़ी सी चिंतित
थोड़ी उदास !
अब ये ही है
जवाब देंहटाएंदुनिया उसकी
उसी मुनिया की
जो हो गयी है बड़ी
पर थोड़ी सी चिंतित
थोड़ी व्यथित
थोड़ी उदास !
बिल्कुल सच कहा ... भावमय करती प्रस्तुति
loved it ... awesome !!!
जवाब देंहटाएंरोटी पकाती मुनिया कितनी प्यारी लग रही है..उतनी ही सुन्दर कविता भी..
जवाब देंहटाएंसारी खुशियाँ मिट्टी से जुड़ी ... सहज , स्वाभाविक ...
जवाब देंहटाएंजब सब मिल जाता है तो कुछ सहज सा खो जाता है
बढ़िया प्रस्तुति सहज रूपांतरण की जो उदास करती है चित्र जितना तरंगित करता है रचना का अंत उतना ही उदास कर जाता है .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सहज सी रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (29-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सत्य को सहज भाव में रचा है ...सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी : चर्चामंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद आपका !!
जवाब देंहटाएंमाटी का घर बना , सुन्दर लिया सजाय,
जवाब देंहटाएंएक दिन ऐसा आएगा,माटी में मिल जाय,,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
सुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंजीवन के कुछ कोमल दृश्यों को शब्दों में सहेजती अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंजीवन के कुछ कोमल दृश्यों को शब्दों में सहेजती अच्छी कविता। !.बहुत सार्थक प्रस्तुति. रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें
जवाब देंहटाएंमोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ
very sweet lines.. keep writing..
जवाब देंहटाएंजिंदगी कि उतार चढ़ाव को,
जवाब देंहटाएंसमझाती एक प्यारी सी कविता,............बहुत अच्छा.................
जिंदगी को दर्शाती एक प्यारी सी कविता...
जवाब देंहटाएंमाटी के खिलौने से बचपन याद आ गया, बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंvery nice .thanks
जवाब देंहटाएंTIME HAS COME ..GIVE YOUR BEST WISHES TO OUR HOCKEY TEAM -BEST OF LUCK ..JAY HO !
रफ़्तार जिंदगी में सदा चलके पायेंगें
हाथों से
जवाब देंहटाएंखुद रचा है
इस दुनिया को
अपनी छोटी सी दुनिया
माटी की दुनिया
खुश है जहाँ छोटी सी मुनिया
बहुत खुश !
बस यहीं तक .....मुनिया को मुनिया
ही रहने देते तो रचना ज्यादा प्रभावी होती ....
सुंदर !
जवाब देंहटाएंlaajawab panktiyan......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा है शिवनाथ जी
जवाब देंहटाएंरचना तो प्यारी है हे लेकिन गुडिया की तस्वीर बहुत अच्छी लगी। छोटी सी मुनिया --- जैसे भी हो अपनी राहें तलाश लेती है।
जवाब देंहटाएंvery touching creation...
जवाब देंहटाएंसब खेल माटी का है, अग पांव माटी पर रहे तो सब ठीक है किंतु जब माटी से पैर उठता है तो हवा में जगह नहीं मिलती।
जवाब देंहटाएंआह..... माटी की कहानी को जीती कविता.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..
हृदयभावी बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकोमल भाव लिए रचना..
:-)
sochane par vivash kar diya bhai aapane.....umra ke saath kitna kuch kho jaata hai...vo kaagaz ki kashti wo baarish kaa paani....
जवाब देंहटाएंlaajavaab rachna
मुनिया बड़ी हो गयी पर बर्तन नहीं छूटे ... गहरी रचना ...
जवाब देंहटाएंBahut hi gahri rachna ...dil ke bhavo ko chuu lene wali "muniya badi hi gai"
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंनन्ही सी- प्यारी सी कविता...
जवाब देंहटाएंइसके बाद का दर्द >> http://corakagaz.blogspot.in/2013/03/main-ek-mati-ki-murat.html