मिली संजीवनी
उस सावन को
जो भीगा
कल के सावन में
सुप्त अंतर
हुआ हरित
मिलने लगा
बूंद बूंद में गीत
हाँ, वो ही गीत
जो हम तुम
अक्सर
सावन में गाते
और भीगे भीगे से
अंजुरी में
कितने सावन
भर कर लाते
सच बोलूँ
तो भीगे भीगे
सावन में
तुझे संग संग
जी लेता हूँ
पास नहीं
तो क्या हुआ
सावन की
इन बूंदों में
दूरियों को
पी लेता हूँ
मुझे पता है
तुम भी
हो भीगी
कल रात में
मैं कब
भीगता हूँ अकेला
सावन की
बरसात में
बताओ जरा
कब भीगता हूँ
'अकेला'
ऐसे बरसात में
बताओ जरा !
Jab Tum ehsaas mein Bhi Saath ho to ham akele Kahan .... Saavan ko jeete huve sundar rachna ...
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुन्दर जब किसी का अहसास साथ होता है
जवाब देंहटाएंतो अकेलापन कैसा ...
सुन्दर अहसास की रचना :-)
brother you have written very well.best of luck
जवाब देंहटाएंapne jise sambodith kiya ab wo roj bhig rahi hogi
जवाब देंहटाएंमन का पंछी दूर तक, उड़ उड़ वापस आय ।
जवाब देंहटाएंसावन की मनहर छटा, फिर भी मन तड़पाय ।
फिर भी मन तड़पाय, साथ यादें ही आती ।
सुन लो तुम चितलाय, झूल सावन जो गाती ।
भीगे भीगे शब्द, करे हैं ठेलिमठेला ।
रहा अधर में झूल, भीगता नहीं अकेला ।।
""बहुत है झूलने वाले "'
हाँ! शिवनाथ जी!
जवाब देंहटाएंआपका ये कविता तो बहुत ही अच्छा हैं हमें बहुत अच्छा लगा/
साथ ही आपके कविता में जो कल के सावन की बूंदों का दृश्य हैं,
बूंदों ने जो सबको जो भिगोंया !! वह सबको हमेशा याद आयेंगें//
"वो आश्मां तुम कितने दूर भी हो पर हमेशा अपने मुशकुराहट की बूंदों की से हम-सब को भीगते रहे"
"वो आश्मां तुम कितने दूर भी हो पर हमेशा अपने मुशकुराहट की बूंदों से हम-सब को भिगाते रहे"
जवाब देंहटाएंवाह ... भावमय करते शब्दों का संगम ... उत्कृष्ट प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअहसास अकेला नहीं रहने देता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
जवाब देंहटाएं'मानसिक कुहांसे को जब भी कागज पे उतारा है ,
जवाब देंहटाएंअक्स तेरा उभर आया है' .बढिया प्रस्तुति है बरसात में हमसे मिले तुम सजन, तुमसे मिले हम,बरसात में , ताक धिनाधिन
सच तो कह रहें हैं आप शिव!
जवाब देंहटाएं''कोई अकेला कहाँ भीगता है.."
तन भीगते ही, यादों के सावन में मन भीगने लगता है
कागज़ की नावों के साथ साथ, बचपन से जवानी तक कितनी देह्लीजों
पर क्या क्या भीगा, डूबा है सब याद आने लगता है!
सच तो है.....
भीगे सपनो को ठौर मिले, भीगी यादों का तर्पण हो
और नयी यादें जुड़ जाएँ, इसीलिये आता है सावन!
बहुत प्यारी कविता.
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जवाब देंहटाएं..... खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएंये कविता नही एक कहानी हैं,
जवाब देंहटाएंजिसमे बसी यादे पुरानी हैं,
सच बोलूँ
जवाब देंहटाएंतो भीगे भीगे
सावन में
तुझे संग संग
जी लेता हूँ
पास नहीं
तो क्या हुआ
सावन की
इन बूंदों में
दूरियों को
पी लेता हूँ
....कोमल अहसास जगाती बहुत प्यारी रचना...
बहुत प्यारी रचना !!
जवाब देंहटाएंvery beautiful poem :-)
जवाब देंहटाएंवो ना सही, उसका अहसास सही.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत!
आशीष
--
इन लव विद.......डैथ!!!
http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/2012/07/blog-post_22.html
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक सृजन , आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपनी शुभकामनाएं प्रदान करें.
bahut khoob
जवाब देंहटाएंसच बोलूँ
जवाब देंहटाएंतो भीगे भीगे
सावन में
तुझे संग संग
जी लेता हूँ
पास नहीं
तो क्या हुआ
सावन की
इन बूंदों में
दूरियों को
पी लेता हूँ
bahut sundar bhav, badhai.
बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंप्रेमी को प्रेमिका की तदानुभूति कराती रचना .बधाई ....सावन को सावन के बरसने को ....बरसाने को कान्हा के ...
जवाब देंहटाएंहाँ, वो ही गीत
जवाब देंहटाएंजो हम तुम
अक्सर
सावन में गाते
और भीगे भीगे से
अंजुरी में
कितने सावन
भर कर लाते....
Awesome creation !
.
bahut sundar aur dilkash....
जवाब देंहटाएंmere blog par aane ke liye shivnathji aapka shukriya.......
nice one
जवाब देंहटाएंBahut achcha likha hai shivnath ji....:)
जवाब देंहटाएंये वो नमी है जो किसी की रिक्तता से जीवन में भर जाती है।
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna sawan ki phuhar ke saath
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी कविता रची है आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएं............
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बहुत कोमल और सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें...!!
बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर मनमोहक रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पर पहली बार आया आना सार्थक रहा,,,,
फालोवर बन गया हूँ आप भी बने तो मुझे खुशी होगी,,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
कोमल से एहसासों से रची बसी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सावनी फुहार भरी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमुझे पता है
जवाब देंहटाएंतुम भी
हो भीगी
कल रात में
मैं कब
भीगता हूँ अकेला
सावन की
बरसात में
बताओ जरा
कब भीगता हूँ
'अकेला'
ऐसे बरसात में
बताओ जरा !....सुंदर रचना.
.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना है भाई !
बहुत बहुत बधाई !!