मंगलवार, 5 जुलाई 2011

मौन तोड़ ना सका


मौन तोड़ ना सका
कुछ बोल ना सका
अंगराई लेती
उथल पुथल मचाती
संवेदनाएँ, भावनाएँ
बनकर आँसू
नयनों से गिर पड़े
मिल धूल धरा में
खोते अपने अस्तित्व को
फिर बोल पड़े
" जिंदा रहूँ तुझमें
मेरी अभिलाषा है
एक दरिया तेरे अंदर
फिर भी क्यूँ प्यासा है
हो सके तो, अगली बार
मौन तोड़ना
बोलना, कुछ जरुर बोलना "

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्र कीजिए मियाँ आपकी जान बच गई ।
    हमसे निकाह के वक़्त पूछा था क़ाज़ी जी ने और हम मौन रह न पाए ।

    बहुत सच्ची बातें कहीं हैं आपने,
    इश्क़ पर तो नहीं लेकिन प्यार पर बड़ा ब्लॉगर ने कुछ लिखा है ।
    आप पढ़ने आना और जल्दी आना पर प्लीज़ मौन तोड़कर आना ।
    ''बीज गर नफरत के बोये जायेंगे,
    फल मोहब्बत के कहाँ से लायेंगे.''


    ------
    भारत की भूमि प्यार से लबालब है। यह ख़ुशी की बात है।
    जहां प्यार होगा वहां श्रृद्धा ज़रूर होगी।
    हम भारतवासी इसी प्यार के बलबूते पर जीते हैं।
    तमाम कष्टों के बावजूद भी यह प्यार हमें आज भी नसीब है।
    यही हमारी संस्कृति है और यही हमारा धर्म है।
    धर्म के प्रति यहां ज़्यादातर लोगों में अपार श्रृद्धा है। कोई इस श्रृद्धा को सही दिशा दे सके, उसका यहां सदा से स्वागत है।
    प्यार का रिश्ता ही इंसानियत की पहचान है I love my India

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  2. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है !!

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