बहोत ही सुंदर रचना. वैसे शंब्दों से कवी कभी दूर नहीं हो सकता. वह कितना भागने की कोशिश करे उनसे, मात्र शब्द पीछा नहीं छोड़ते. अखीर वहीँ एक होते है जो आपका साथ जिंदगीभर निभाते है. जिंदगी की भाग दौड़ में आप भूल भी जाओ उन्हें तो फिर आ जाते है आपको अकेले देखकर. और तब तो आप भी मान लेतेहो की आपको उनकी बहोत जरुरत है. इसलिए उनसे दूर जाने कोशिश करो ही नहीं. सदैव ह्रदय और ओंठोंसे लगाये रखो, प्रियसी की तरह. क्यूँ की महफ़िल जमी रहनी चाहिए!
शब्दों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है, बधाई हो मित्र
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wahh wahhhh............
जवाब देंहटाएंशब्दों के गीलेपन से गिला हो गया मेरा मन
किसकी याद में लिखा है ??
जवाब देंहटाएंबहोत ही सुंदर रचना. वैसे शंब्दों से कवी कभी दूर नहीं हो सकता. वह कितना भागने की कोशिश करे उनसे, मात्र शब्द पीछा नहीं छोड़ते. अखीर वहीँ एक होते है जो आपका साथ जिंदगीभर निभाते है. जिंदगी की भाग दौड़ में आप भूल भी जाओ उन्हें तो फिर आ जाते है आपको अकेले देखकर. और तब तो आप भी मान लेतेहो की आपको उनकी बहोत जरुरत है. इसलिए उनसे दूर जाने कोशिश करो ही नहीं. सदैव ह्रदय और ओंठोंसे लगाये रखो, प्रियसी की तरह. क्यूँ की महफ़िल जमी रहनी चाहिए!
जवाब देंहटाएंआपसबों का टिप्पणी हेतु धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत पर भींगने की जगह भीगने कर लीजिएगा...
जवाब देंहटाएंवाकई भीगे से भाव, भीगे से शब्दों के साथ...
धन्यवाद वीना जी !!
जवाब देंहटाएंमैंने सुधार कर लिया है , शुक्रिया !
आपकी रचना को कविता मंच पर साँझा किया गया है
जवाब देंहटाएंhttp://kavita-manch.blogspot.in/
धन्यवाद संजय जी मेरी रचना को कविता मंच पर स्थान देने के लिए !
हटाएंआभार ! :)