पहला शांत है
पर चेतन, जागृत
दूसरा अशांत है
उद्वेलित
कोशिश कर रहा
दूसरा
पहले को परेशान
करने की
पर पहले को
गुस्सा नहीं
प्यार आ रहा
दूसरे पर
पता है पहले को
कि दूसरा नादान है
चंचल है
यही सोच
कोई प्रतिक्रिया नहीं
बस शांत बैठा है पहला
कुछ देर बाद
दूसरा खुद शांत हो जाता है
और पहला
मुस्कुरा रहा होता है
चुपचाप
जो किसी ने पूछा
दोनों से
परिचय उनका
पहले ने बताया 'दिल'
दूसरे ने 'मन'
असमजश सही है दिल और मन का। .... थोड़ा और निखरा जा सकता है. ..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-05-2016) को "गौतम बुद्ध का मध्यम मार्ग" (चर्चा अंक-2350) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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बुद्ध पूर्णिमा की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद सर !
हटाएंसादर आभार !
☺ 👍 सुन्दर
जवाब देंहटाएं☺ 👍 सुन्दर
जवाब देंहटाएंदिल दिमाग की कशमकश को बाखूबी शब्द दे दिए हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब रचना ...
बहुत खूब। बहुत शानदाार और प्रभावी रचना की प्रस्तुति।
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