(फोटो गूगल से साभार) |
कुछ दिनों पहले हमारे देश के एक हिस्से में एक लड़की के साथ कुछ लोगों ने जो बदसलूकी की वो बड़े ही शर्म की बात है | आजादी के इतने साल बाद भी ऐसी स्थिति देखकर बहुत दुःख होता है | देश के कई अन्य हिस्सों से लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ ऐसे अमानवीय व्यवहार की खबर आए दिन अखबारों, समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल ही जाता है | हमें बचपन में एक श्लोक पढ़ाया जाता था "यत्र नारी पूज्यते ,तत्र देवता रमन्ते" जिसका मतलब आपलोगों को तो पता ही होगा फिर भी मैं यहाँ लिख देता हूँ कि "जहाँ नारी की पूजा होती है वहीं ईश्वर का वास होता है " | अब पूजा का मतलब अगरबती और धुप दीप से पूजा करने से तो है नहीं इतना तो सबको पता ही होगा | ज्यादा लिखने का कोई मतलब नहीं बनता | लिखने वालों ने कितना लिखा और हमारी इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने गुवाहाटी वाली खबर को बड़े सक्रिय होकर दिखाया भी | धन्यवाद और साधुवाद ! इस मीडिया को | कई 'पशु' वहाँ मौजूद थे ('पशु' का मतलब तो समझते ही होंगे आप) जो उस लड़की के साथ अपनी 'जाति' के हिसाब से बर्ताव कर रहे थे | अब पशुओं से इंसानियत की आशा रखना ये तो मूर्खता ही है, बोलिए है की नहीं .... | कुछ 'पशुओं' को तो गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन अभी भी कुछ स्वतंत्र घूम रहे हैं | ऐसे पशु हमारे समाज और देश दोनों के लिए खतरा हैं | इनकी स्वतंत्रता और प्रशासन की निष्क्रियता दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं | हाँ, हमारी पुलिस, प्रशासन और सरकार भी तभी सक्रिय होती है जब ये मीडिया सक्रिय होता है क्यूँकी सरकार के अन्य मीडियम (तात्पर्य 'माध्यम' से है ) तो काम करते नहीं, जंग लग चुकी है उनमें | सरकार की कोई गलती नहीं, गलती तो मीडिया की है जो इतनी देर बाद खबर दिखाती है | 'लाईव' दिखाते तो शायद सारे पशु अभी जेल में होते | मैंने कुछ गलत कहा क्या .... गलती के लिए माफ़ी चाहूँगा ! प्रशासन को कुछ कहना बेकार है क्यूँकी उनके कानों पर तो जूं रेंगने से रही | और एक बात, ये तो देश के एक हिस्से में होने वाली घटना है जो मीडिया में आई और हमें पता चला, पर आए दिन ऐसी कई घटनाएँ हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में घटती रहती हैं | लड़कियों, महिलाओं के साथ ऐसे कई दुर्व्यवहार सुनने को मिल ही जाते हैं | हमारे देश में जहाँ नारी नर से पहले आती है , जहाँ 'राम-सीता', 'कृष्ण-राधा' न कहकर 'सीता-राम' और 'राधे-कृष्ण' बुलाते हैं, जहाँ अपनी धरती को हम 'माँ' का दर्जा देते हैं वहाँ किसी भी नारी के साथ अमानवीय व्यवहार और उसे अपमानित करना एक तरह से भारत माता का अपमान है और हम सब के लिए शर्म की बात | कहीं ना कहीं हम आप भी इसके जिम्मेवार हैं (कहने का तात्पर्य 'आम इंसान' से है, अन्यथा ना ले), क्यों जरा सोचिये .... सोचने के लिए मैंने आप पर छोड़ दिया ! बस अपनी कुछ पँक्तियों के साथ अपनी बातों को विराम देना चाहूँगा, शायद किसी की इंसानियत जाग उठे ......
(फोटो गूगल से साभार) |
ये कैसा दृश्य है
'मानवता' अदृश्य है
अभिशापित, कलंकित
हुई सी रात
मर गया था शहर
मर गए थे जज्बात
बेच आए थे 'वो' शर्म
एक अकेली पर
मिलकर सारे
दिखा रहे थे दम
शर्म करो बुजदिलों
शर्म करो शर्म
सुनता आ रहा हूँ कि
होता जहाँ नारी का सम्मान
बसते हैं वहीं भगवान
तेरे इस कृत्य ने
किया है भारत माता का अपमान
सुन लो
ओ राष्ट्र के कर्ता धर्ता !
हो सके तो
अपना 'पुरुषार्थ' जगाओ
और नारी का 'सम्मान' बचाओ
और हे इंसान!
अगर तुम 'जिंदा' हो
और जाग रहे हो
तो 'सबूत' दो
आवाज लगाओ
हाथ मिलाओ
और ऐसे 'कुकृत्यों'
को जड़ से मिटाओ
तुम्हारे हाथों में है
भारत की 'लाज'
देर ना हो जाए कहीं
संभाल लो,
संभल जाओ आज !
shameful act by those Indian
जवाब देंहटाएंthey wont change we need to reform our system
नत मस्तक हूँ आपके विचारों और आपकी इस कविता पर .....
जवाब देंहटाएंरात इसी विषय पर कुछ क्षणिकायें लिखी हैं जल्द ही डालती हूँ .....!!
शर्मनाक और दर्दनाक घटना..
जवाब देंहटाएंमानवता मर चुकी है..
सभ्यता खो चुकी है..
जिन्दा रहने वालों की आवाज़ दबा दी जाती है आज ...
जवाब देंहटाएंशर्मनाक घटना है ये ... पूरे समाज कों शर्मसार करती है ...
bahut achha likha hai aapne shivnath ji..is ghatna ne pure samaj ko sharmsaar ker diya hai.
जवाब देंहटाएंआलेख और रचना दोनों ही बहुत सुन्दर हैं।
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त अभिव्यक्ति.............
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी को नमन
अनु
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंजयपुर दर्पण पर भी पधारेँ।
आलेख और कविता दोनों ही बेहद सशक्त हैं, काश सब इसे समझ पाते तो मानवता ऐसे शर्मसार ना होती...
जवाब देंहटाएंहमारी पूरी सामाजिक व्यवस्था और संस्कारों पर चोट हैं ऐसी घटनाएँ..... विचारणीय पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंhttp://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/07/blog-post_15.html
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त सार्थक अभिव्यक्ति.............्मेरी पोस्ट पर आने के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंघटना पूरे समाज कों शर्मसार करती है .
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने कि समय से न संभले तो बहुत देर हो चुकी होगी। सरे राह जिस तरह से मानवता शर्मसार हो रही है, लगता नहीं कि हम उसी देश के सभ्य नागरिक हैं जिसे मुनियों संतों का देश कहा जाता रहा है।
जवाब देंहटाएंशिवनाथ जी आपका ये रचना एवं कबिता, बहुत अच्छा है हमें भी अच्छा लगा, जो की आज के समाज-देश को सकीर्णता से निकल कर ऊपर उठने के लिए बोल रहा है,
जवाब देंहटाएंहर मानव को इसे समझना होगा!!
हाँ! शिवनाथ जी, ये मानवता की लकीर को ही मिटा डाला!!
अब यह -
मानवता का क्रूर खेल! बंद हो !!
जिसे आज तक विश्व की शक्ति, देश की शक्ति , समाज की शक्ति, नारी शक्ति के रूप में पूजते आये ! आज उसी का शर्मशार /
नहीं! नहीं! बंद हो ! अब मानवता का ये क्रूर खेल !!
जागों भाई - बहनों, जगाओं अपने अंदर की मानवता को !!
पशुओं को भी शर्म आ गयी होगी ...
जवाब देंहटाएंआपके ज़ज्बे को सलाम .....
जवाब देंहटाएंकाम गंदे सोंच घटिया
जवाब देंहटाएंकृत्य सब शैतान के ,
क्या बनाया ,सोंच के
इंसान को भगवान् ने
फिर भी चेहरे पर कोई, आती नहीं शर्मिंदगी !
क्योंकि अपने आपको, हम मानते इंसान हैं !
this incident was really shameful .you have written very well and show your anger through these lines-फिर भी चेहरे पर कोई, आती नहीं शर्मिंदगी !
जवाब देंहटाएंक्योंकि अपने आपको, हम मानते इंसान हैं !
अपनी अपनी में जब जाने लगेगा इंसान
जवाब देंहटाएंमानवता की खुलने लगेगी फिर दुकान
इंसानियत होगी शर्मसार हर मोड़ पर
पता नहीं क्या होगा इस देश का हे भगवान !!
पूरे देश के लिए एक शर्मनाक और दर्दनाक घटना है ये..सटीक अभिव्यक्ति..मेरे ब्लाग में आने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन सन्देश देती हुई प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयत्र नार्यस्तु पीटन -ते ,भोग्नते ...चोग भोग कर्नते ..रमन्ते तत्र देवता ...अब तो यह सूरत हमें ही बदलनी होगी .जनता सब कुछ कर सकती है .तमाशबीन तो कोई भी बन सकता है .
जवाब देंहटाएंज्वलंत विषय पर बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahot achcha likhe......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शेखर जी
जवाब देंहटाएंआभार !