(फोटो गूगल से साभार) |
मंद समीर सी चलने वाली
नदी सी कल कल बहने वाली
जहाँ दिल दरिया और मन समंदर
करुणा और ममता का सागर
तुम ना हो तो जग अधूरा
नारी, तुमसे होता जग यह पूरा
तुम माँ, तुम भगिनी
तुम बेटी, तुम अर्द्धांगिनी
हर रूप तुम्हारा अद्भुत है
प्रेम, वात्सल्य, दया, त्याग
सब तुम्हारे पर्यायवाची
सब तुम्हारे ही रूप हैं
तुम रानी लक्ष्मीबाई
तुम राणा की पन्ना धाय
तुम चितौड़ की पदमिनी
तुम वीरांगनी, तुम ओजस्विनी
तुम इंदिरा सी नेतृत्व हो
तुम कल्पना की उड़ान
तुम राष्ट्र शक्ति हो
तुम देश का स्वाभिमान
धरा से गगन तक
बस तुम्हारा विस्तार है
नारी शक्ति, नारी संबल
तुमको शत शत नमस्कार है !!