शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

ऐसा क्यों ?

(फोटो गूगल से साभार)

तुमने जो दो बोल
कभी बोले थे
थोड़ी सी मुस्कराहट लिए
वो आज भी घूम रहे हैं
मेरे इर्द गिर्द

हर रात
मेरी नींद में
पहले तुम्हारी आवाज आती है
और फिर
मुस्कुराती हुई तुम

पर आज क्या हुआ
तुम्हारी आवाज तो आयी
मगर तुम नहीं
ऐसा क्यों ?

ख्वाब तो ख़त्म होना है
मगर तुम्हारा क्या ?
तुम तो हर सुबह
जाग जाती हो
संग मेरे
खामोश नींद से

फिर रहती हैं 
चारो तरफ
तुम और तुम्हारी आवाज
मगर सिर्फ .....
खामोश नींद से पहले तक
खामोश नींद में तो
मिलती है अब .....
सिर्फ तुम्हारी आवाज
ऐसा क्यों ?

24 टिप्‍पणियां:

  1. अनुपम भाव ... संयोजन लिये बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  2. मोहब्बत की जादूगरी है ये....
    कभी तुम,तो कभी तुम्हारी आवाज़.....

    सुन्दर रचना..
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. ख्वाब तो ख़त्म होना है
    मगर तुम्हारा क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  4. ख्वाबों को भी देर तक महसूस किया जाता है,बहुत ही सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाव ...सुन्दर ख्वाब से..

    जवाब देंहटाएं
  6. यूं ख्यालों में है यादों का उजाला जैसे,
    चांदनी रात में कुहसार(पर्वत) पे कुंदन बरसे,,,,

    RECENT POST शहीदों की याद में,

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रेम का अहसास लिए अति सुन्दर रचना...

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पार आना हुआ...शिवनाथ जी
    .... बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... अति सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  10. शायद ये समय का बदलाव है ... वो ओर उनकी आवाज़ें तो फिर भी साथ हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर रचना ...
    शुभकामनायें ॥

    जवाब देंहटाएं
  12. कोमल भावों की अभिव्यक्ति ...बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  13. behtreen abhivyakti...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  14. अदभुत--बहुत सुंदर
    बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  15. कसक जगाती हुई..अच्छा लगा पढ़कर ..

    जवाब देंहटाएं

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